कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत गैर ऋणी किसानों को लाना बड़ी चुनौती है,जिस पर काम किया जाना है। इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर किसान संगोष्ठियां और किसान मेलों का आयोजन कर किसानों को जागरूक किया जाएगा ताकि गैर ऋणी किसान भी इस योजना का लाभ उठा सकें। यह जानकारी डॉ. अभिलक्ष लिखी ने बुधवार को चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में अपने संबोधन के दौरान दी।
चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिस में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी व् अन्य अधिकारीयों ने हिस्सा लिया। अपने सम्बोधन में उन्हों ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत गैर ऋणी किसानों को लाना बड़ी चुनौती है, जिस पर काम किया जाना है। इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर किसान संगोष्ठियां और किसान मेलों का आयोजन कर किसानों को जागरूक किया जाएगा ताकि गैर ऋणी किसान भी इस योजना का लाभ उठा सकें । क्रियान्वयण में समस्याएं कम से कम उत्पन्न हों इसलिए हितधारक आपसी तालमेल के साथ सही कार्य करें। उन्होंने कहा कि बैंक और बीमा कंपनियां अपना रिकॉर्ड सांझा करेंगे और बीमा कंपनियां अपने स्तर पर पंजीकृत स्थान पर जाकर व्यक्तिगत तौर भी चैक करेंगे कि किसान द्वारा बताई गई जगह और फसल बैंक द्वारा प्राप्त रिकॉर्ड से मेल खाती है या नहीं, ताकि समय आने पर किसान को बीमे की राशि बिना किसी परेशानी के जल्द मिल सके। उन्होंने कहा कि किसान संगोष्ठियां और किसान मेलों का आयोजन कर किसानों को जागरूक किया जाए और गैर ऋणी किसानों को भी इस योजना में शामिल किया जाए।
उन्होंने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस वर्ष क्रॉप कटिंग एक्सपैरिमेंट में नई तकनीकों को पायलट बेस पर प्रयोग में लाया जाए।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक डी. के. बेहरा ने कहा कि हरियाणा ने पहला राज्य है जिसने वर्ष 2018-19 के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू करने के लिए समय पर नोटिफिकेशन जारी किया है और 1 अप्रैल से लागू की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इससे बैंकों के समक्ष आने वाली समस्याएं काफी हद तक कम हो गई हैं। बैंक समय पर प्रीमियम की राशि काट सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 में खरीफ फसलों का बीमा करवाने की अंतिम तिथि 31 जुलाई तथा रबी सीजन की फसलों के लिए 31 दिसंबर, 2018 है। उन्होंने कहा कि जलभराव, बेमौसम बारिश आना और औले गिरने जैसी स्थानीय जोखिम की समस्याएं अधिक हैं इसलिए बीमा कंपनियां को सूचना मिलने पर तुरंत मौके पर जाकर इन समस्याओं का जायजा लेना चाहिए, ताकि मुआवजा देने के समय किसी भी तरह के विवाद के विषय सामने न आएं और किसानों को समय रहते नुकसान की भरपाई की जा सके।











































