थायरॉइड की अनदेखी पड़ सकती है भारी, बच्चों में मानसिक विकास और महिलाओं में 5 गुना अधिक खतरा

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थायरॉइड एक आम लेकिन गंभीर रोग है, जिसे समय रहते न पहचाना जाए तो इसके असर व्यापक हो सकते हैं। INMS (इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोकलर मेडिसिन एंड एलाइड) और नेशनल थायरॉयड रिसर्च सेंटर के डॉ. रमन कुमार मर्वाह के अनुसार, यह समस्या आजकल बड़ों में 15-20 प्रतिशत और बच्चों में 5-10 प्रतिशत तक पाई जा रही है। महिलाओं में यह पुरुषों की तुलना में पांच गुना ज्यादा होती है।

क्या है थायरॉइड?
यह एक ग्लैंड है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। जब शरीर अपनी ही थायरॉइड को पहचानना भूल जाता है और एंटीबॉडीज़ बनाकर उस पर हमला करता है, तब यह विकार उत्पन्न होता है।

हाइपोथायरॉइडिज्म: सबसे आम विकार
डॉ. बताते हैं कि थायरॉइड कम काम करे तो व्यक्ति को कमजोरी महसूस होती है, वजन कम हो सकता है, आंखें सूज जाती हैं, थकावट रहती है और ठंड ज्यादा लगती है। यह उम्र के साथ और भी बढ़ता है।

नोड्यूल्स: गांठें जो बन सकती हैं कैंसर का कारण
गांठ बनने पर अल्ट्रासाउंड से जांच कराई जानी चाहिए। हर साल इसकी स्क्रीनिंग जरूरी है, ताकि समय रहते कैंसर या अन्य खतरे को पहचाना जा सके।

आयोडीन की भूमिका अहम
1986 में तय हुआ था कि नमक में आयोडीन मिलाया जाए। 2003 की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रति किलो नमक में 30 मिलीग्राम आयोडीन जरूरी है। आज 50% लोगों में आयोडीन का स्तर 200-300 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया है, जो चिंता की बात है।

बच्चों में थायरॉइड की कमी के खतरे
डॉ. के मुताबिक, बच्चों में थायरॉइड की कमी से मानसिक विकास धीमा हो सकता है, पढ़ाई में कमजोरी आ सकती है और शरीर की ग्रोथ रुक सकती है।

क्या करें?
“एक गोली रोज़ लें, जांच कराते रहें और नमक में आयोडीन की मात्रा पर ध्यान दें। लक्षण न भी हों, फिर भी सतर्क रहना जरूरी है, क्योंकि कई बार यह ‘सब क्लिनिकल’ अवस्था में भी रहता है।”