कश्मीर में रमजान के महीने में भारत सरकार का सस्पेंशन आफ ऑपरेशन यानी सैन्य कार्रवाई न करने का फैसला लागू है. बावजूद इसके आतंकवादियों का खूनी खेल घाटी में बदस्तूर जारी है. सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिसवालों को आतंकवादी लगातार निशाना बना रहे हैं.
इस बीच कश्मीर में कुछ ऐसे जवान हैं जो अपना खून देकर रमजान के पवित्र महीने में अपना रोजा खोल रहे हैं. इस बात की परवाह किए बिना जब वो वापस अपनी ड्यूटी पर जाएंगे तो आतंकवादी उन्हें निशाना बनाने के लिए तैयार रहेंगे.
सीआरपीएफ के 4 जवान संजय पासवान, मुदासिर रसूल, मोहम्मद असलम मीर और राम निवास गुरुवार को जब अपनी ड्यूटी से वापस लौटे तो कैंप न जाकर सीधे ‘शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस अस्पताल’ पहुंचे.
इनमें से दो जवान मुदासिर रसूल और मोहम्मद असलम मीर ने रमजान के महीने में रोजा रख रखा था. 20 साल की एक लड़की जो ल्यूकीमिया से पीड़ित थी और उसे खून की जरूरत थी, इन चारों जवानों ने करीब चार यूनिट खून इस लड़की को दिया. मुदासिर रसूल और असलम मीर ने रक्तदान के बाद अपना रोजा खोला.
दरअसल सीआरपीएफ मददगार नाम से कश्मीर में हेल्पलाइन चलाती है. इस हेल्पलाइन के जरिए कश्मीर में जरूरतमंद लोग मदद की गुहार लगाते हैं, जिसके जरिये सीआरपीएफ उनकी मदद करती है. जवानों का ये जज्बा देश के लोगों के लिए गर्व की बात है.














































