पुलिस ने ‘की-पैड जिहादियों’ के खिलाफ शुरू किया ऑपरेशन

552
Representative image

जम्मू – कश्मीर पुलिस आजकल ‘ की – पैड जिहादियों ’ की पहचान कर रही है जो राज्य में कानून – व्यवस्था बिगाड़ने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों पर घृणा फैलाते हैं. ऐसे लोग इंटरनेट पर अफवाह फैलाते हैं या किसी भी घटना को सांप्रदायिक रंग देते हैं.

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने पांच ट्विटर हैंडल के खिलाफ मामला दर्ज किया है और फेसबुक तथा वॉट्सएप पर गुमराह करने वाली पोस्ट को लेकर सेवा प्रदाताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है ताकि जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई की जा सके. अधिकारियों ने बताया कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट को संदेश भेज ऐसे ट्विटर हैंडल के बारे में जानकारी मांगी गई है ताकि ऐसे ‘ की – पैड जिहादियों ’ पर लगाम लगाई जा सके.
अधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2016 के बाद से कश्मीर और जम्मू में कुछ समूहों का गलत जानकारी फैलाने वाला अभियान अपने चरम पर था. तब हर दल अपने राजनीतिक लक्ष्यों की खातिर ऐसी कोई घटना पेश करने का प्रयास कर रहा था जो राज्य में सांप्रदायिक झड़पों को हवा दे सके. उनके मुताबिक नए रणक्षेत्र और नई लड़ाई में परंपरागत हथियारों और संकरी सड़कों तथा जंगलों के परंपरागत युद्ध क्षेत्रों की जगह नए दौर के जिहादी कंप्यूटर और स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. वह ऐसा घाटी में कहीं भी , यहां तक की घाटी के बाहर , अपने घर पर रहकर , किसी सड़क , किसी कैफे या कहीं भी रह कर रहे हैं.
अधिकारियों ने बताया, ‘फेसबुक और ट्विटर पर कई पेज ब्लॉक करने के लिए हमने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम – इंडिया को कई शिकायतें भेजी हैं.’ सेवा प्रदाताओं की मदद से ऐसे कई सिम कार्ड ब्लॉक किए गए हैं जिनका इस्तेमाल वॉट्सएप जैसी मैसेजिंग सेवाओं पर अफवाहें फैलाने के लिए किया जा रहा था. अधिकारियों ने घाटी में दो दर्जन से अधिक वेबसाइटों पर रोक लगा दी जिसके बाद यहां सोशल मीडिया तक पहुंच पर काफी हद तक नियंत्रण लग गया लेकिन जम्मू और देश के अन्य हिस्सों में यह समस्या अभी भी बनी हुई है.